India China Relations in Hindi – चीन के साथ भारत के संबंध कैसे हैं? [UPSC Topic]

India China Relations in Hindi: हाल ही में हमारे देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर चीन में तीन दिवसीय यात्रा करके आए हैं, जिसकी वजह से भारत और चीन के संबंधों की चर्चा एक बार फिर से उभर आयी है। इसी दौरान विदेश मंत्री ने भारत-चीन संबंधों के कई सारे पहलुओं पर चर्चा की है। इसके साथ-साथ भारत और चीन के तनावपूर्ण संबंधों को और ज्यादा उकसावा मिल चुका है। चीन का अरुणाचल प्रदेश को अपने देश के नक्शे में जोड़ना, इसके साथ-साथ भारतीय मीडिया कर्मियों को वीजा देने से इनकार करना, भारत से एक संक्रमित रिश्ते का संकेत दे रहा है।

आज हम अपने इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि भारत और चीन में संबंध कैसे हैं? भारत और चीन का इतिहास क्या है? भारत और चीन के विवाद क्या-क्या है? भारत और चीन कौन-कौन से स्तर पर आपसी सहयोग बनाए रखते हैं? आदि जोकी सिविल सेवा या अन्य परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

India China 2023 Relations in Hindi

मौजूदा समय में भारत और चीन के बीच का संबंध एक महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दा बन चुका है। ये दो बड़े आर्थिक और सामरिक राष्ट्र हैं, जिनके बीच व्यापार, राजनीति, और सुरक्षा संबंधी कई मुद्दे हैं।

इन दोनों देशों के बीच का सर्वाधिक महत्वपूर्ण विवाद आक्साई चिन क्षेत्र में है, जिसमें उनके सीमा के पास सीमा स्तर पर विवाद हो रहा है। इसके चलते, 2020 में गलवान घाटी में जवानों के बीच एक बड़ा संघर्ष भी हुआ था। इसके साथ ही साथ अभी हाल में ही चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपने देश के नक्शे में जोड़कर संबंधों में और खटास पैदा कर दी है।

भारत और चीन का इतिहास

पीपल रिपब्लिक ऑफ़ चाइना की स्थापना 1 अक्टूबर 1949 को हुई थी। 1 अप्रैल 1950 को भारत और चीन में राजनीतिक संबंध बनाए गए। 1954 में दोनों देशों ने मिलकर पंचशील की व्याख्या की। हालाँकि भारत और चीन का इतिहास बहुत लम्बा और समृद्ध है। आज भारत और चीन के राजनीतिक संबंध को करीब 73 साल हो चुके हैं। इनके इतिहास से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ निम्नलिखित हैं:

  • प्राचीन काल: इन दोनों देशों का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। इस प्राचीन अवधि में भारत में वेदों का उपदेश दिया गया और चीन में कंफुशियस और लाओत्से जैसे दार्शनिकों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
  • मौर्य साम्राज्य: अशोक मौर्य के शासनकाल में (3rd से 2nd शताब्दी ईसा पूर्व) भारत एक बड़ा साम्राज्य बन गया और चीन के साथ व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ।
  • गुप्त साम्राज्य: गुप्त साम्राज्य (4th से 6th सदी ईसा) काल में भारत में विज्ञान, कला, और धर्म के क्षेत्र में अग्रणी योगदान हुआ।
  • चीन का तांग और सोंग दिनांक: तांग (618-907 ईसा) और सोंग (960-1279 ईसा) दिनांक काल में चीन ने विज्ञान, वाणिज्य, और कला में महत्वपूर्ण योगदान किया।
  • मुगल साम्राज्य: मुगल साम्राज्य (16th से 19th सदी) के काल में भारत एक बड़ा और सुलतानत संस्कृति का केंद्र बन गया था।
  • चीन की कम्युनिस्ट राजनीति: 20वीं सदी में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के शासन का आरंभ हुआ, जिससे देश की राजनीतिक और आर्थिक दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ।
  • भारत का स्वतंत्रता संग्राम: 20वीं सदी में भारत ने ब्रिटिश शासन से आजाद होने के लिए स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया और 1947 में स्वतंत्र हुआ।
  • चीन की आधुनिकीकरण: चीन ने 20वीं सदी में अपनी आर्थिक और तकनीकी विकास में बड़े परिवर्तन किए और आज यह एक विश्व शक्ति है।

भारत चीन विवाद

भारत-चीन के संबंधों में कई मुद्दे हैं जिनपर गौर करने लायक़ है। भारत-चीन विवाद सबसे ज्वलंत मुद्दा है। आइये इन दो देशों के बीच कुछ हुए विवादों पर नजर डालते हैं:

सीमा से जुड़ा हुआ विवाद

भारत-चीन के साथ करीब 4000 किलोमीटर की सीमा से लगता है। चीन के साथ सीमा विवाद में भारत के साथ-साथ भूटान भी जुड़ा हुआ है। भारत का चीन से विवाद अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ लद्दाख से सटे हुए अक्साई चीन से भी है। यहीं पर अगर हम भूटान की बात करते हैं, तो भूटान का चीन से विवाद डोकलाम क्षेत्र को लेकर है।

दलाई लामा को शरण

चीन कई बार भारत से इस बात पर भी चिढ़ता है कि, भारत ने तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा को शरण दे रखी है। दलाई लामा को तिब्बत का सबसे बड़ा धर्म गुरु कहा जाता है। चीन से तनाव के बाद दलाई लामा भारत में 64 साल से हिमाचल प्रदेश की किसी धर्मशाला में रह रहे हैं। चीन हमेशा दलाई लामा को तिब्बत के लिए खतरा बताता रहा है। दलाई लामा की बात करें तो उन्हें हर बार अलग-अलग मौके पर वर्ल्ड लीडर्स का सपोर्ट देखने को मिला है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीन के विरोध के बावजूद दलाई लामा से मुलाकात की थी, और उन्हें नोबेल पीस प्राइज भी दिया गया था।

चीन की String of Pearls Policy

चीन अपनी स्ट्रिंग ऑफ़ पल्स पॉलिसी को मजबूत करते हुए जा रहा है, जो भारत के लिए एक सिक्योरिटी का खतरा बन सकता है। चीन भारत से जुड़े हुए अगल-बगल के देशों में अपना कब्जा उनके समुद्री इलाकों को खरीद कर बना रहा है, ताकि वह भारत को चारों ओर से कंट्रोल कर सके। चीन की स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स पॉलिसी के अंदर वह गरीब देश को लोन देकर उनकी जमीनों पर कब्जा करता है।

india china relations in hindi
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नदी जल विवाद

भारत और चीन के बीच में विवाद ब्रह्मपुत्र नदी के जल के बंटवारे को लेकर भी है। चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपरी इलाकों में कई सारे बांध बना रखे हैं। इस बात को लेकर भारत और चीन के बीच में किसी भी प्रकार की कोई औपचारिक संधि नहीं हुई है जिसकी वजह से चीन कई बार यह निशान बांधते हुए दिख जाता है कि वह बांध का पानी किसी भी तरफ मोड़ देगा।

भारत को एनएसजी (NSG) सदस्य बनने से रोकना

चीनी कभी भी नहीं चाहता है कि भारत न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप का सदस्य बने। भारत ने जितनी बार न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप के सदस्य बनने की कोशिश की है, उतनी बार चीन ने भारत के मंसूबों पर पानी फेरा है। नई दिल्ली में 2016 में इस मामले को बहुत जोरदार तरीके से उठाया गया था जिसकी वजह से विदेश सचिव एस जयशंकर ने प्रमुख सदस्य देशों के समर्थन के लिए यात्रा भी की थी।

चीन का भारत के खिलाफ आतंकवाद में समर्थन

पूरे एशिया में चीन भारत को अपना सबसे बड़ा कंपीटीटर मानता है। चीन ने पाकिस्तान में एक बहुत ही बड़े पैमाने पर समर्थन पा रखा है। चीन पाकिस्तान के अंदर एक बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है, जैसे कि वन बेल्ट वन रोड मेगा प्रोजेक्ट(ONE BELT, ONE ROAD)। ऐसे में देखा जाए तो चीन कहीं ना कहीं भारत के खिलाफ एक आतंकवाद का पाकिस्तान के लिए पोषण बना हुआ है। भारत के खिलाफ चीन पहले से कई सारे आतंकवादी संगठनों की मदद करता आ रहा है।

व्यापार असंतुलन

वैसे तो चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है लेकिन दोनों देशों के बीच में बहुत बड़ा व्यापारिक असंतुलन भी देखने को मिला है। भारत व्यापार के मामले में डिफिसिट का शिकार होते जा रहा है। पिछले साल चीन के साथ भारत का घाटा 57.86 अरब डॉलर था। साल 2017 की बात करें तो यह घटा 61.72 अरब डॉलर का था।

स्पष्ट सीमा का अभाव

भारत और चीन दोनों देशों के बीच में किसी भी प्रकार की स्पष्ट सीमा को सीमांकित नहीं किया गया है। यह दोनों देश अपने लैंड बॉर्डर को लेकर कई बार लड़ते हुए नजर आए हैं। भारत ने इसी के चलते वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध भी लड़ा था।

भारत और चीन के बीच मित्रता

  • भारत और चीन दोनों ही विश्व भर की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स (BRICS) के सदस्य हैं। ब्रिक्स उन सभी देशों की अर्थव्यवस्था को दिखाता है जो अभी ट्रेड और डेवलपमेंट के मामले में काफी तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।
  • भारत और चीन दोनों मिलकर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के तहत एक दूसरे का कई सारे क्षेत्र में साथ दे रहे हैं। भारत और चीन दोनों मिलकर निवेश के साथ-साथ न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना कर उन सभी देशों को लाभ पहुंचाने का काम करेंगे जो ग्रोथ और डेवलपमेंट के बारे में सोचते हैं।
  • भारत और चीन दोनों ही देश वर्ल्ड बैंक, यूनाइटेड नेशन और आईएमएफ जैसी संस्थाओं के सुधार को लाने की बात करते हैं। यूनाइटेड नेशन के मामलों में पूरे विश्व की विकासशील देशों की भागीदारी की मांग जिस प्रकार से भारत करता है, उसका समर्थन चीन भी देता है।
  • WTO की मीटिंग के दौरान भारत और चीन ने कई सारे मामलों पर एक प्रकार की सहमति दी है। भारत और चीन हमेशा विकासशील देशों की पहचान और भागीदारी में बढ़ोतरी की बात करते हैं।
  • भारत और चीन दोनों ही देश G20 समूह के सदस्य हैं। इस समूह के अंतर्गत वह सभी देश आते हैं जो करीब दुनिया की 70% जीडीपी को दिखाते हैं। G20 समूह के अंदर भारत और चीन की लीडरशिप स्किल पहचानी जाती है।
  • जब भी पर्यावरण को लेकर बात होती है तो अमेरिका और उसके साथ कई देश मिलकर भारत और चीन जैसे विकासशील देशों की आलोचना करते हैं। इन सभी चीजों के बावजूद यह दोनों देश पर्यावरण को लेकर अपनी नीतियों में प्रायः सुधार करते हुए देखे हैं।

भारत आगे क्या-क्या कर सकता है?

भारत-चीन संबंधों (India China Relations in Hindi) में अब हम देखेंगे कि आख़िरकार अब भारत आगे भविष्य में क्या-क्या करने की योजना बना रहा है:

रक्षा योजनाओं का फिर से मूल्यांकन करना

भारत को चाहिए कि वह अपने रक्षा अधिग्रहण योजनाओं का फिर से मूल्यांकन करें। भारत के पास इतने रक्षा अधिग्रहण होने चाहिए ताकि वह किसी भी दीर्घकालीन समस्या में किसी भी देश का सामना कर सके।

किसी भी संघर्ष के लिए तैयार रहना

भारत को चीन के साथ आने वाले संघर्ष की तैयारी पहले से करनी होगी। इस तैयारी के अंदर भारत को अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाना होगा इसके साथ-साथ विशेष रूप से भारतीय वायु सेवा नौसेना और थल सेना  की एफिशिएंसी और बढ़ानी होगी।

रक्षा क्षेत्र में कैपिटल

भारत को अपने डिफेंस के अंदर और भी कैपिटल इन्वेस्ट करने की जरूरत है। जहां बाकी सारे देश अपने जीडीपी का एक अच्छा खासा हिस्सा डिफेंस के अंदर लगते हैं, वहीं भारत को अपनी जीडीपी का एक अच्छा खासा हिस्सा कंट्रीब्यूट करना चाहिए। भारत सरकार को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और पर्याप्त कैपिटल का कॉन्ट्रिब्यूशन भी होना चाहिए।

डिप्लोमेटिक रिलेशंस में मजबूती

भारत को चीन के साथ एक डिप्लोमेटिक रिलेशंस में मजबूती बनानी चाहिए। भारत को इस प्रकार की बातचीत की रणनीति अपनी आनी चाहिए जो अपनी क्षमता और शक्ति पर बोल दे। एक अच्छी बातचीत की रणनीति में उसे देश का कैपिटल और शक्ति दोनों ही सबसे ज्यादा प्रभावशाली होते हैं।

अनौपचारिक शिखर सम्मेलन

भारत और चीन के बीच एक दूसरा अनौपचारिक शिखर सम्मेलन महाबलीपुरम यानी कि तमिलनाडु में किया गया था। इससे पहला पहला अनौपचारिक शिखर सम्मेलन 2018 में चीन के सबसे बड़े शहर वहां में हुआ था। हमारे एक्सटर्नल अफेयर्स मिनिस्टर के अनुसार इस अनौपचारिक शिखर सम्मेलन में दोनों देश के नेताओं के बीच इकोनामिक और ग्रंथ और डेवलपमेंट के बारे में बात की गई है।

अलग-अलग क्षेत्रों पर भारत और चीन के बीच में संबंध – India China Relations in Hindi

ऊपर हमने भारत और चीन के बीच कुछ मुख्य विवादों और मित्रता से जुड़े पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। अब आइये देखते हैं कि अलग-अलग क्षेत्रों में दोनों देशों की बीच (India China Relations in Hindi) संबंध कैसे हैं?

Indo china relation in hindi
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आर्थिक संबंध (Economic Relation)

भारत और चीन ने मिलकर सन 1984 में एक व्यापार समझौते पर उतरे थे। इन दोनों के तहत मोस्ट फॉरवार्डेड नेशन का दर्जा प्राप्त किया गया था। भारत और चीन के व्यापार और आर्थिक संबंधों में काफी तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिली है। अगर हम वर्ष 2000 की बात करें तो भारत और चीन के बीच करीब तीन बिलियन डॉलर का रेट देखने को मिला है जो 2017 में बढ़कर 84 बिलियन डॉलर तक हो चुका है।

राजनीतिक संबंध (Political Relation)

अक्टूबर 1954 में उसे समय हमारे देश के प्रधानमंत्री नेहरू ने चीन का दौरा किया था। आगे चलकर हमारे भारत और चीन से संबंध अच्छे नहीं रहे। सन 1962 में भारत और चीन के बीच में कुछ संबंध अच्छे नहीं थे परंतु सन 1988 में हमारे देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच में दूरियां काफी कम हुई थी।

यदि अभी के इस समय को देखें तो दोनों देश के प्रतिनिधियों के बीच समय-समय पर औपचारिक और अनौपचारिक मीटिंग्स का आयोजन किया जाता रहा है जो कि यह दिखाता है कि कहीं ना कहीं दोनों देश एक दूसरे की भलाई की इच्छा रखते हैं। 1993 में हमारे प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने अपनी-अपनी सीमा क्षेत्र पर शांति बनाए रखने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किया था।

सांस्कृतिक संबंध (Cultural Relation)

भारत एक सॉफ्ट पावर में तेजी से उभरता हुआ देश है जहां चीन से भी कई प्रकार की सांस्कृतिक चीजों का आदान-प्रदान होते रहता है। बुद्धिस्म एक ऐसा जरिया है जिससे भारत और चीन के बीच में संबंध और अच्छे बनाए जा सकते हैं। कई सारे चीनी यात्री जैसे फाह्यान, ह्वेनसॉंग भारत की यात्रा पर भी आए थे और उन्होंने भारत के संस्कृति को जिस तरीके से नापा-तोला है कहीं ना कहीं इसकी महक चीन तक जा पहुंची है।

शिक्षा से जुड़े हुए संबंध (Educational Relation)

भारत और चीन दोनों ने सन 2006 में एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम पर साइन किया था। इन दोनों देशों के बीच में शिक्षा को बढ़ाने के लिए एक समझौता किया गया था। इन दोनों देशों के बीच शिक्षा के मान्यता प्राप्त स्थान में 25 छात्रों को स्कॉलरशिप देने की भी बात की गई थी। उत्तर के मुताबिक आज चीन के विश्वविद्यालय में भारत के कुल 18171 भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं।

अनुच्छेद 370 को लेकर चीन की क्या प्रतिक्रिया हुई है?

जैसे ही भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को लेकर अपना कदम उठाया वैसे ही चीन ने अपनी कई सारी चिंता भारत के सामने जाहिर की है। परंतु हमारे एक्सटर्नल अफेयर मिनिस्टर एस जयशंकर ने चीन के मिनिस्टर के सामने यह घोषित कर दिया है कि जम्मू कश्मीर पर होने वाली हर चीज हमारे देश का आंतरिक मामला है और हम किसी और देश की दखलअंदाजी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।

निष्कर्ष

भारत और चीन विश्व भर की इकोनामी का एक बहुत अहम हिस्सा माना जाता है। भारत और चीन जिस प्रकार से अपने ह्यूमन रिसोर्सेज के लिए जाने जाते हैं अगर उसका एक सही ढंग से उपयोग करें तो इन दोनों की इकोनॉमी काफी तेजी से बढ़ती हुई दिखाई देगी।

भारत और चीन दोनों उभरती हुई एशियाई शक्तियों के रूप में जाने जाते हैं। भारत और चीन आज के समय में ग्लोबल लीडरशिप पर अपना कब्जा जमाना चाहते हैं। भारत और चीन को चाहिए कि वह मानवता के आधार पर अपनी अपनी पॉलिसी को फॉलो करें।

India China Relations in Hindi से जुड़े प्रश्न

भारत और चीन (INDO-CHINA RELATION) के संबंध कैसे हैं?

1980 के दशक के बाद भारत और चीन के आर्थिक संबंधों को एक बार फिर से जोड़ने की कोशिश की गई, और कहीं ना कहीं यह बहुत सफल भी हुई है। भारत आज के समय में चीन का एक बहुमूल्य ट्रेडिंग पार्टनर जाना जाता है।

भारत के कौन से हिस्से पर चीन दावा करता है?

चीन हिमालय में अक्साई चिन पठार पर अपना दावा करता है।

चीन भारत का समर्थन करता है या पाकिस्तान का?

आज के इस युग में चीन अक्सर पाकिस्तान का समर्थन करते हुए दिखाई दे रहा है। चीन ने पाकिस्तान को आर्थिक, तकनीक और मिलिट्री कई सारी सहायता प्रदान की है।

भारत और चीन के बीच में दूसरा शिखर सम्मेलन कहां हुआ था?

भारत और चीन के बीच में दूसरा शिखर सम्मेलन महाबलीपुरम में हुआ था।

भारत और चीन के बीच में पहला शिखर सम्मेलन कब और कहां हुआ था?

भारत और चीन के बीच में पहला शिखर सम्मेलन 2018 में चीन के शहर Wuhan में हुआ था।

आशा है कि मेरे द्वारा India China Relations in Hindi - चीन के साथ भारत के संबंध कैसे हैं? [UPSC Topic] के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी ऐसे ही लेटेस्ट सरकारी जॉब, सरकारी योजनाअपकमिंग जॉब्स की अपडेट पाने के लिए कैरियर बनाओ Careerbanao.net को जरूर बुकमार्क करें।

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