India-Middle East-Europe Mega Corridor Project 2023 MCQ in Hindi: भारत में G-20 बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी ने भारत और मिडिल ईस्ट-यूरोप मेगा कॉरिडोर (IMEC) की शुरुआत करने की घोषणा की है। इस परियोजना में भारत, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, सऊदी अरब शामिल है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस कॉरिडोर पर चर्चा करते हुए कहा, कि आने वाले दशक में यह इकोनॉमिक कॉरिडोर विकसित देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।
इस लेख में हम आपको इस भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा (IMEC) से जुड़े सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की जानकारी देंगे जो यूपीएससी, स्टेट सिविल सर्विस समेत तमाम वन डे एग्जाम की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी। तो आइए शुरू करते हैं…
India-Middle East-Europe Corridor Mega Economic Project | भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा क्या है?
यह मुख्य रूप से भारत, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, सऊदी अरब से होकर जाने वाला एक कॉरिडोर प्रोजेक्ट है जिसका उद्देश्य ऊर्जा से संबंधित वस्तुओं के आदान प्रदान की सुविधा पर विशेष ध्यान देना है। इस परियोजना में भाग लेने वाले देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य है। यह परियोजना न केवल आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देगी बल्कि वैश्विक कनेक्टिविटी के प्रमुख घटकों के रूप में स्थिरता और डिजिटलीकरण पर भी ज़ोर देगी।
मुंबई से शुरू होने वाला यह नया कॉरिडोर चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) का विकल्प होगा। यह कोरिडोर 6000 कि. मी. लंबा होगा, जिसमें 3500 किलोमीटर समुद्र मार्ग भी शामिल होगा। इसमें कुल आठ देश शामिल है। इस प्रोजेक्ट का फायदा इजरायल और जॉर्डन को भी मिलने वाला है।
इस प्रोजेक्ट में एक रेलवे नेटवर्क की सुविधा होगी जो सड़क और समुद्री मार्गों के पूरक के रूप में काम करेंगी। मिडिल ईस्ट से होकर गुज़रने वाले इस रेलवे मार्ग में बिजली के केबल और स्वच्छ हाइड्रोजन पाइपलाइन बिछाने की योजना बनाई गयी है। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य ऊर्जा उत्पादों सहित शामिल देशों के बीच अधिक व्यापार को बढ़ावा देना हैं।
भारत को भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा (IMEC) का लाभ कैसे मिलेगा?
भारत मिडिल यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर की मदद से विकासशील देश के बीच में खाद्य सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा मिलेगा। इस कॉरिडोर में भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ने वाला एक ईस्ट कोरिडोर और अरब के खाड़ी को यूरोप से जोड़ने वाला एक नॉर्थ कोरिडोर शामिल होगा। इससे नए बाजार और व्यापार मार्ग खुलेगा, जिसमें भारत को व्यापार करने का अवसर मिलेगा। इस कॉरिडोर के बनने के बाद रेल और जहाज से भारत से यूरोप तक पहुंचा जा सकता है।
कॉरिडोर के बनने के बाद भारत से यूरोप तक सामान पहुंचने में करीब 40% समय की बचत होगी। वर्तमान समय में भारत से किसी भी कार्गों को शिपिंग से जर्मनी पहुंचने में 36 दिन लगते हैं, लेकिन इस रास्ते से 14 दिन की बचत होगी और यूरोप तक सीधा पहुंचा जा सकेगा। साथ ही भारत के लिए आयात-निर्यात आसान और सस्ता भी हो जाएगा।
India-Middle East-Europe Corridor से कैसे होगा बुनियादी ढाँचे का विकास?
यह परियोजना बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगा, और असमानताओं को कम करेगा। इससे जो कम आय वाले देश हैं, उनको आर्थिक विकास में सहायता मिलेगा।
आर्थिक समृद्धि में सहायता
इस परियोजना के सहायता से ऊर्जा संसाधनों और डिजिटल संचार के प्रवाह को सुविधाजनक बनाकर, यह गलियारा आर्थिक वृद्धि और विकास को प्रोत्साहित करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य भाग लेने वाले देशों के बीच समृद्धि को बढ़ावा देना है।
India-Middle East-Europe Mega Economic Corridor Project in Hindi का महत्व
India-Middle East-Europe Corridor के निम्नलिखित महत्व हैं:
- परिवहन लागत कम हो जाएगा जिससे भारतीय व्यवसायों और निर्यात को लाभ मिलेगा।
- ढांचागत विकास के माध्यम से नौकरी के अवसर और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- भारत के निर्यात में विभिन्न प्रकार से वैश्विक बाजारों तक पहुंचने का मार्ग मिलेगा।
- गलियारा नए बाजार और व्यापार मार्ग को खोलेगा जिससे व्यापार का अवसर मिलेगा।
- आवश्यक वस्तुओं का एक स्थिर स्रोत सुनिश्चित होगा और यह आपूर्ति श्रृंखला के लचीलापन को बढ़ावा देगा।
- आपूर्ति श्रृंखला सुरक्षा में सुधार होगा ऊर्जा और संसाधन पहुँच के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
- भारत की रणनीति स्थिति, वैश्विक भू राजनीति में इसकी भूमिका को मजबूती मिलेगा।
- व्यापार प्रक्रियाओं को सरल और सहज बनाया जाएगा। जिससे भारतीय व्यवसायों के लिए विश्व स्तर पर जुड़ना आसान हो जाएगा।
India-Middle East-Europe Mega Economic Corridor Project MCQ in Hindi
यह प्रोजेक्ट रेल और शिपिंग कॉरिडोर ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट के लिए साझेदारी का हिस्सा है
इस प्रोजेक्ट के माध्यम से भारत के व्यापार और बाजार को बढ़ावा मिलेगा। और विभिन्न प्रकार के अवसर मिलेंगे।
भारत में यह प्रोजेक्ट मुंबई से शुरू होगा
यह कोरिडोर 6000 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें 3500 किलोमीटर समुद्र मार्ग भी शामिल होगा।
इंडिया मिडल ईस्ट प्रोजेक्ट में कुल 8 देश शामिल है।
वर्तमान समय में यूरोप में निर्यात करने में 36 दिन का समय लगता है लेकिन इस कॉरिडोर के बनने के बाद 14 दिन का बचत होने वाला है
इस प्रोजेक्ट में एक रेलवे नेटवर्क की सुविधा होगी, जो सड़क और समुद्री मार्गों के लिए पूरक के रूप में काम करेंगी।
इस प्रोजेक्ट के बनने के बाद लगभग 40% समय की बचत होगी
आशा है कि मेरे द्वारा India-Middle East-Europe Corridor: भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा से जुड़े प्रश्न के बारे में दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी ऐसे ही लेटेस्ट सरकारी जॉब, सरकारी योजना व अपकमिंग जॉब्स की अपडेट पाने के लिए कैरियर बनाओ Careerbanao.net को जरूर बुकमार्क करें।