हम लोग अपनी रोज की रोजमर्रा में जिन नोट का इस्तेमाल करते हैं, उनमें कहीं ना कहीं RBI Full Form का जिक्र जरूर आता है। हर नोट पर आरबीआई का शब्द आपको बार-बार परेशान करता होगा कि आखिर यह क्या है? तो चलिए आज हम आपको अपने लेख में बताते हैं कि आरबीआई क्या है? आखिर नोटों पर RBI क्यों लिखा होता है? RBI Full Form in Hindi क्या होता है? भारतीय रिज़र्व बैंक काम क्या करता है? यह कहां पर है? व इसके वर्तमान में गवर्नर कौन हैं? इत्यादि।
RBI Full Form क्या है?
वैसे तो आरबीआई एक इंग्लिश शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है, भारतीय रिजर्व बैंक। RBI Ka Full Form अंग्रेज़ी में Reserve Bank of India होता है। अगर आपके मन में अभी भी यह सवाल आ रहा है कि भारत का केंद्रीय बैंक कौन सा है? तो हम आपको बता देना चाहते हैं कि, भारत का केंद्रीय बैंक RBI ही है।
RBI क्या है?
आरबीआई को हम भारतीय रिजर्व बैंक भी कहते हैं। यह एक भारत का अपेक्स बैंकिंग स्ट्रक्चर है, जिसे हम सेंट्रल बैंक भी कहते हैं। यह एक ऐसा बैंक है, जो भारत के सभी सरकारी और गैर सरकारी बैंकों को कंट्रोल, मैनेज और रेगुलेट करता है। वर्तमान समय में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया का हेड क्वार्टर मुंबई में है।
भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई थी?
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की स्थापना 1 अप्रैल 1935 में की गई थी। जब इसकी स्थापना की गई थी तो उस वक्त इसकी पूंजी 5 करोड़ की थी। इस 5 करोड़ की पूंजी को ₹100 के मूल्य के 5 लाख शेयर में विभाजित किया गया था।
शुरुआती दौर में इस शेयर का हिस्सा प्राइवेट सेक्टर के पास था लेकिन जैसे-जैसे सरकार को इस बात का पता चलने लगा कि अगर देश में गरीब और समाज के लिए कुछ करना है तो उसके लिए भारत के सेंट्रल बैंक को अपने कब्जे में लेना होगा। इसीलिए भारत सरकार ने 1 जनवरी 1939 को Reserve Bank of India का राष्ट्रीयकरण कर दिया।
RBI के वर्तमान गवर्नर कौन है?
हमें कई बार यह सवाल देखने को मिलता है, कि आरबीआई के गवर्नर कौन है? हम आपको यह बता देना चाहते हैं, कि भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान में गवर्नर शक्तिकांत दास (SHAKTIKANTA DAS) हैं। इन्होंने 11 दिसंबर 2018 को भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नर के पद को सम्भाला था। उर्जित पटेल के सेवानिवृत्ति 2018 में होने के बाद शक्तिकांत दास को ही इसका गवर्नर बनाया गया।
शक्तिकांत दास 2015 से लेकर 2017 तक इकोनामिक अफेयर्स के एक बेहतरीन पद पर थे। वैसे तो आरबीआई का गवर्नर का कार्यकाल पूरे 3 साल का होता है। इसके अंदर गवर्नर के अलावा डिप्टी गवर्नर को भी सेलेक्ट किया जाता है। वर्तमान में RBI के डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन, बीपी कानूनको और एमके जैन हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के कार्य क्या-क्या है?
भारत में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया की भूमिका काफी ज्यादा मानी जाती है। यह कई क्षेत्रों में अपनी भूमिकाओं को निभाते हैं और भारत को एक मजबूत इकोनामी बनाने में मदद करता है। तो चलिए हम विस्तार से देखते हैं कि भारत में Reserve Bank of India के कार्य क्या-क्या है?
आरबीआई को बैंकों का बैंक कहा जाता है: रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को बैंकों का बैंक कहा जाता है। यह सारे कमर्शियल बैंकों के ऊपर आता है और उन्हें रेगुलेट कंट्रोल और मॉनिटर करता है। कमर्शियल बैंक जनरल पब्लिक के लिए काम करते हैं लेकिन रिज़र्व बैंक सिर्फ कमर्शियल बैंक के लिए काम करता है। यानी कि यह पब्लिक और कमर्शियल बैंक दोनों के ऊपर आता है इसी वजह से इसको बैंकों का बैंक कहा जाता है।
बैंकों को लोन देने का कार्य: Reserve Bank of India उन सभी बैंकों को लोन देने का कार्य करता है जो फंड की जरूरत में होते हैं। वह सभी बैंक जिनके पास पर्याप्त पैसा लोगों को देने के लिए नहीं होता है वह आरबीआई से लोन लेने का काम करता है। यह दिए गए लोन के पैसे पर इंटरेस्ट भी चार्ज करता है और उस इंटरेस्ट को बैंक रेट या रेपो रेट कहते हैं। रिजर्व बैंक के पास सभी बैंकों का अकाउंट होता है और यह उनके अकाउंट में वह पैसे क्रेडिट कर देती है।
आरबीआई नोट जारी करता है: Reserve Bank of India भारत में एक काफी अहम भूमिका निभाता है और वह है नोट जारी करना। आज हम अपनी रोज मर रहा है कि जिंदगी में जिस भी नोट का इस्तेमाल करते हैं वह RBI ही जारी करता है। इसके पास उन सभी नोटों की लिस्ट होती है जिसने अभी तक जारी किया है। यह नोटों को जारी करने से पहले कुछ रिजर्व के फॉर्म में गोल्ड और फॉरेन एक्सचेंज को रखता है। अगर भारतीय रिजर्व बैंक बिना गोल्ड और फॉरेन एक्सचेंज को रखें देश में नोट जारी करेगा तो महंगाई दर काफी तेजी से बढ़ना शुरू हो जाएगा। इसीलिए आरबीआई इस चीज के लिए बाध्य होता है।
फॉरेन एक्सचेंज का संरक्षक: यह अपने पास फॉरेन एक्सचेंज को भी रिजर्व कर कर रखा है। जब कभी भी हमारे भारत सरकार या किसी बैंक को फॉरेन एक्सचेंज की जरूरत होती है तो वह आसानी से आरबीआई से ले सकते हैं। रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्राओं को खरीदने और बेचने का भी काम करता है। जब कभी भी फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में विदेशी मुद्राओं की कमी होती है तब यह उसे फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में भेज देता है जिससे कि इसकी आपूर्ति बढ़ाई जा सकती है।
आरबीआई भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करता है: Reserve Bank of India भारत सरकार के लिए कई तरीके से काम करता है। यह वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ में भारत सरकार को रिप्रेजेंट करता है। इसके साथ-साथ रिज़र्व बैंक हमेशा से भारत सरकार को क्रेडिट कंट्रोल और देश मैं पैसे से जुड़ी हुई पॉलिसी को लागू करने के लिए मदद करता है।
भारत सरकार का खाता: रिज़र्व बैंक के पास भारत सरकार का खाता भी होता है। भारत सरकार के निर्देशानुसार यह रेवेन्यू एक्सेप्ट करता है और निर्देशानुसार लोगों को पेमेंट भी करता है। समय-समय पर आरबीआई भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार को लोन के साथ एक अच्छी मॉनेटरी पॉलिसी को अपनाने का सलाह भी देता है। किसी भी देश के लिए एक सेंट्रल बैंक उसकी इकोनॉमी को बेहतर बनाने के लिए बेहद जरूरी होता है। ठीक उसी प्रकार भारत के लिए आरबीआई बेहद जरूरी है।
RBI Full Form से जुड़े प्रश्न
जी हां, यह नोट प्रिंट करता है। भारत में केवल इसी बैंक के पास ही अधिकार है कि वह नोट प्रिंट कर सके।
जी नहीं, आरबीआई सिक्कों को कभी भी इशू नहीं करता है । हमारे देश में सिक्कों को इशू करने का काम मिनिस्ट्री ऑफ़ फाइनेंस के अंदर आता है। इसका काम सिर्फ नोट को छापना और जारी करना है।
इसका कोई पुराना नाम नहीं है शुरुआत से ही इसका नाम आरबीआई ही रखा गया था।
इसका प्रतीक तार का पेड़ और बाघ है जिसे रिज़र्व बैंक का लोगो भी कहते हैं।
यह दो अन्य देशों के लिए भी काम कर चुका है। देश की आजादी से पहले म्यांमार और पाकिस्तान हमारे देश से जुड़े हुए थे। 1948 तक आरबीआई इन दोनों देशों के लिए भी काम करता रहा है।
रिज़र्व बैंक के पूरे इतिहास में दो ऐसे भी गवर्नर रह चुके हैं जिन्हें अपने पूरे काल में नोटों पर सिग्नेचर करने का मौका नहीं मिला। उन दोनों लोगों का नाम है अंबे गवांकर और ओसबोर्न स्मिथ।
RBI Full Form रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया है जिसे हम हिंदी में भारतीय रिजर्व बैंक भी कहते हैं।
जी हां, मनमोहन सिंह भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रह चुके हैं।
डॉ मनमोहन सिंह जो हमारे देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री रह चुके हैं जो रिजर्व बैंक के गवर्नर भी थे।
भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा 5000 और ₹10000 के नोट बंद कर दिए गए थे लेकिन इनके बंद करने का समय अलग-अलग था। सन 1954 में आरबीआई ने ₹5000 के नोट बंद किए। उसके बाद सन 1978 में ₹10000 के नोट को भी बंद किया।
भारत का वित्तीय वर्ष वैसे तो 1 अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक का होता है। लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया का वित्तीय वर्ष भारत के वित्तीय वर्ष से कुछ अलग है। इसका वित्तीय वर्ष 1 जुलाई से लेकर 30 जून तक का होता है।
इसको सन 1935 में स्थापित किया गया था।
इसको अधिनियम 1934 के अंतर्गत स्थापित किया गया था।